Friday 19 December 2014

स्कूल के अध्यापक / अध्यापको के साथ 11 नवम्बर, 2014 को एक दिवसीय फर्स्ट एड स्वास्थ्य प्रशिक्षण कार्यशाला रपट

खेजड़ी सर्वोदय सामान्य स्वास्थ्य एवं आई केयर सेन्टर

दिनांक 11 नवम्बर, 2014 को प्रातः 9 बजे सेे सांय 4.00 बजे तक खेजड़ी सर्वोदय स्वास्थ्य केन्द्र की ओर से दिगंतर संस्था, जगतपुरा में प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित हुई। इस कार्यशाला में जयपुर जिले के आस-पास के 13 गांवों/कॉलोनी से 34 प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसमें 13 प्राईवेट विद्यालयों व 10 महिला ड्राईवर आजाद फाउंडेशन संस्था के पुरुष अध्यापक 6 व महिलाएं अध्यापिकायें 14 व बस्तियों में बच्चों के साथ कार्य कर रही निजी संस्थान से 13 प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसमें 13 महिला व 1 पुरूष थे। कार्यषाला के प्रतिभागियों ने भरपूर आनन्द लिया। प्रतिभागियों का कहना था कि ऐसी कार्यशालाओं में हमे आगे भी जुडने को मौका मिला तो व अवश्य जुडेंगे।

कार्यशाला की अध्यक्षता एवं स्वागत श्रीमति जी.जे. उन्नीथान (मानद निदेशक) खेजड़ी स्वास्थ्य केन्द्र ने किया। कार्यशाला में डॉ. विनिता जैन, डॉ. प्रेम शेखावत व डॉ. मारिन जनसन (Physician), ने मानव शरीर की मुख्य बिमारीयों के बारे में एवं घायल व्यक्ति को स्वास्थ्य प्रशिक्षण कैसे दे उसके बारे में अवगत करवाया एवं प्रो. माया टंडन ने पावर पाइंट के जरिये व मानव डमी के जरिये बताया कि हमारा शरीर का कार्य एवं हडडी टूटने पर कैसे अस्पताल पहुचांया जाये और प्राथमिक उपचार कैसे दिया जाये। 

कार्यशाला में शुरूआती सत्र में सम्मलित हुये सभी अध्यापक/अध्यापिका प्रतिनिधियों के । A,B,C,D  ग्रुप बनाकर चर्चा रखी गई कि उनके विद्यालयों के बच्चों में अधिकतर क्या-क्या बिमारियां नजर आती है। कार्यशाला काफी ज्ञानवर्धक रही और सभी का कहना था कि ऐसी कार्यशालाओ में भाग लेने का अवसर हमें मिलता रहे है तो हम स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लोगो तक पहुचां पायेंगे जिससे अन्य लोग भी जागरूक हो सकेंगे। खेजड़ी स्वास्थ्य केन्द्र की मानद निदेशक श्रीमति जी.जे. उन्नीथान ने सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरित किये एवं अपना महत्वपूर्ण समय निकालकर आये सभी डॉक्टर एवं प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया। दिगंतर संस्थान ने हमेशा की तरह इस बार भी कार्याशाला के लिए स्थान उपलब्ध करवाया, जिसका खेजड़ी संस्थान का हमेशा आभारी रहेगा। कार्याशाला के अंत में श्रीमति उन्नीथान जी ने सभी का आभार प्रकट किया। इस कार्यशाला को सहयोग चिल्ड्रन ऑफ टूमारो निदरलेंड संस्थान द्वारा किया गया।


मूल्यांकन सीट


कुल प्रतिनिधी: 34 पुरूष: 7 महिलायें: 27
                       कुल विद्यालय: 10 संस्थान: 4

सत्र एक: प्रशिक्षण के पहले सत्र में ग्रुप चर्चा आपको कैसी लगी? 

डॉ. मारियन जनसन, डॉ. प्रेम शेखावत एवं डॉ. विनिता जैन ने समूह चर्चा से निकलकर आई बिमारियों के बारे में अवगत कराया एवं प्रतिभागियों को यह चर्चा समूह कैसा लगा वो इस प्रकार विवरण है।

इस प्रशिक्षण के पहले सत्र में हुई ग्रुप चर्चा में अलग-अलग विद्यालयों व संस्थानों सभी अध्यापक/अध्यापिकाओं के ग्रुप ।ए ठए ब्ए क् बना एक दूसरे के विद्यालय में बच्चों के साथ स्वास्थ्य को लेकर आ रही समस्याओं के बारे में चर्चा की सभी ग्रुप ने अपने विद्यालय के एक-दूसरे से चर्चा कर अपने ग्रुप के लीडर को अपनी बात लिखवाई और इसी तरह ग्रुप से अलग-अलग बच्चों की समस्याऐं निकल कर आई जो इस प्रकार है, अधिकतर दांत का दर्द, नाखून खाना, काट खाना, जुकाम होने पर कान में दर्द होना, पेट दर्द (पेट साफ न होना), सिर दर्द, आँखे लाल होना, फोडे फुंसिया, कट लगना, आँखों का कमजोर होना, नाक से नकसीर आना, चक्कर आना, अधिक देर तक बैठने पर सुन होना, उल्टी आना, सिर गर्म होना, बुखार होना, जुकाम, खांसी, अचानक चोट लगना, नाक में चीजे डालना, सिक्का निगलना, होठो को किनारे से कटना इत्यादि बिमारियों को लेकर डॉ. विनिता जैन, डॉ. प्रेम शेखावत व डॉ. मरियन जनसन (जर्मनी) ने इन बिमारियों के बारे में उपाय बताये गये और क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिऐ, इन्ही सब चीजों के लक्षण व परिणाम को लेकर चर्चा की गई।

ग्रुप चर्चा बहुत ही अच्छी लगी व उसमें हमें बच्चों में कौन-कौन सी छोटी-छोटी बिमारियां हो सकती है व उन्हे किस तरह के प्राथमिक उपचार की आवश्यकता होती है। दस्त होने पर ओ.आर.एस. कितना लाभदायक है व ओ.आर.एस. बनाने की विधी सीखी व प्राथमिक उपचार बुखार, चोट आदि के लिए सीखा व शारीरिक स्वच्छता का महत्व सीखा। हमे बच्चों के बीमारी व स्कूल में चोट लगने व बच्चों में स्कूल में नई समस्या आ जाती है जैसे बुखार आना, पेट दर्द होना। बच्चों के स्वास्थ्य सम्बन्धित परेशानियों को समझा एवं उनसे बच्चों के बचाव के उपाय जाने जो हमें बहुत उपयोगी लगे। ग्रुप चर्चा में हमारे को बहुत अच्छी लगी और उनसे हम को बहुत कुछ सिखने को मिला हमारे देश में हो रहे दुर्घटना की समस्या को रोकने चाहिए अत जल्दी से उनका प्राथमिक उपचार करना चाहिए। आँखों के इन्फेक्शन होने पर उसे कैसे साफ करना चाहिए सीखा। इस गु्रप चर्चा में हमने बहुत कुछ सीखा है। जैसे हम छोटे-छोटे घरेलू उपचार स्वंय कर सकते है। इसके लिए मेडिकल सहायता की आवश्यकता नहीं है। बच्चों से सम्बन्धित बिमारियों व परेशानी के बारे में उचित जानकारी मिली। प्रशिक्षण के पहले सत्र में ग्रुप चर्चा हमे बहुत अच्छी एवं प्रेरणा स्पर्द लगी। हमने सीखा कि किस प्रकार हम प्राथमिक उपचार से दुर्घटना के घटने के बाद एवं अस्पताल तक पहुंचने तक रोगी को प्राथमिक उपचार देकर उसकी जान बचाने में बहुत हर तक मदद कर सकते है। प्रशिक्षण से हमने सामने आने वाली बिमारियों के बारे में जाना कि उसके क्या लक्षण होते है उन लक्षणों के अनुसार हमे बच्चों को क्या इलाज देना चाहिए ज्यादा लक्षण खराब हो तो डॉक्टर के पास जाने की सलाह देनी चाहिए। ग्रुप चर्चा में हमने बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्तर पर विचार किया हो तो उनके स्तर के बारे में हमें बहुत अच्छा लगा। हमारे सामने दुर्घटना हो तो हमे उस व्यक्ति की मदद करनी चाहिए उसे प्राथमिक उपचार देना चाहिए।

आपने इस सत्र में नई चीज क्या सीखी?

हमने यहां जो नई चीज सीखी वह ये कि किस प्रकार से हम एक घायल पडे इंसान की मदद करके उसके जीवन को बचा सकते हैं, बल्कि यदि प्रभू कृपा से और हमारी मदद से बच जाएं तो उसकी दुआएं भी ले सकते है। यदि बच्चे में कोई गंदी आदत है तो हमें उसका ध्यान बटाकर उसे अच्छी बात बतानी चाहिए। उसका प्राथमिक उपचार कैसे करना चाहिए, सही तरिका सीखा है। विटामिन की कमी से क्या क्या रोग हो सकते है यह जाना। सूर्यमुखी बच्चें को धूप से बचाना चाहिए जाना। हमने बीमारियों से बचने के लिए बैलेन्सड डाइट का महत्वता भी जानी। दूसरो की सहायता कैसी करनी चाहिए। हाईजीन का पूरा ध्यान रखना चाहिए जिससे हम पेट की बिमारियों से बच सकते है। बच्चों की शारीरिक व मानसिक समस्याओं को कैसे दूर करना एवं कैसे उन्हें प्रतिदिन की क्रियाओं में चुस्त और फुर्तीला बनाए रखना। मेरा सवाल था कि बुखार होने पर क्या करना चाहिए। इसमें मैने सीखा की पेरासीटामोल गोली बच्चों को ) तथा बड़ो को 1 गोली उसकी डेट देखकर देनी चाहिए। हमने स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में व सी.पी.आर. के बारे में जाना। हमे नई चीज हमने जो बीमारी के बारे में नहीं जानते थे उसका उपाय सीखा व कारण सीखे व कैसे होती हैं। हमने बच्चों में कान दर्द, पेट एवं बच्चों की शारीरिक कमजोरी को मिटाने के उपाय सीखे। हम किसी भी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को प्राथमिक उपचार द्वारा व्यक्ति को एम्बूलेन्स 108 आने तक बचा सकते है। हमने सीखा कि हमे बच्चे को तथा अपने आस-पास भी इस क्षेत्र खेजड़ी सर्वोदय अस्पताल का लाभ प्राप्त करें तथा स्वंय के उपचार में आगे चलकर मदद करें। हम अपने स्कूल में होने वाली समस्याओं का समाधान किस प्रकार से कर सकते है। सड़क पर अगर हम कोई दुर्घटना देखेगे तो अब हम घबरायेंगे नही बल्कि दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की जितनी हो सकता है मदद करेंगे।

सांप के काटने पर क्या करे एवं रोगी के जहर को मस्तिष्क तक पहुंचने से पहले रोगी को कैसे बचाया जा सकता है। हमने जाना की बच्चों में किस परेशानी के क्या लक्षण है और हम उस परेशानी को दूर करने में हम अपना सहयोग कहां तक दे सकते है। हमने हमारे आस-पास घटित घटनाओं से बचाव किस प्रकार कर सकते है तथा दूसरों को भी इसकी जानकारी दे सकते है। चोट लगने पर बेहोशी की हालत में क्या करना चाहिए तथा हड्डी को सीधी कैसे रखे टूटने पर। विद्यालय व घर में शारीरिक पीड़ा का कैसे निवारण करना व फर्स्ट एड बॉक्स का प्रयोग करना। आकस्मिक दुर्घटना के बाद फ्रेक्चर को कम्पाउंड फ्रेक्चर में बदलने से बचाव के उपाय। जानवरों के काटने व त्वचा बिमारियों के बारे में जाना।

प्रेक्टीकल प्रस्तुतिकरण से आपने क्या सीखा?

प्रेक्टीकल प्रस्तुतिकरण में हमने सीखा कि हमें किसी घायल को देखकर हमें उसका तमाशबीन न बनकर बल्कि उसकी मदद के हमने सीखा कि जब हाथ की हड्डी टूट जाए तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे हाथ को सीधा रखना चाहिए, इसी तरह पैर की हड्डी टूटने पर भी हमें आस-पास की चीजों को काम मेे लेकर सुपोर्ट देना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने से पहले हम किस तरह मरीज को प्राथमिक उपचार द्वारा आराम पहुंचा सकते है व उसकी परेशानी को और ज्यादा बढ़ने से बचा सकते है। दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है, उसे शारीरिक अंगों को बिना किसी नुकसान पहुंचाए सुरक्षित रख सकते है। सड़क दुर्घटना होने पर व्यक्ति को कैसे बचाया जा सकता है। अगर किसी की अन्दरूनी चोट लग जाती है तो उसे बर्फ से सेक करना चाहिए जिससे थोड़ा आराम मिल जाता है। वास्तविक परिस्थितियों को प्रकट करता है, दुर्घटना से पहले मरीज को दिया जाने वाल उपचार के बारे में सीखने को मिला तथा मुझे भविष्य में किसी की जान बचाने मे मदद करने का अवसर मिलेगा तो में इसका वहां प्रयोग करेंगे। किस प्रकार से हम एक मरीज को उपचार दे सकते है व मरीज की सहायता कर सकते है।

दुर्घटना के समय चोट लग जाने या सदमें व अन्य कारण से फेफडे व दिल के कार्य न करने से मस्तिष्क को आक्सीजन न मिल पाने से व्यक्ति की मृत्यु 3 मिनट मे निश्चित है परन्तु सी.पी.सी.आर. यानी छाती पर 100 बार दिल पर दबाव डालते है। हमने वास्तविक अवस्था के बारे में सीखा। हड्डी फेक्चर होने पर हम कैसे प्राथमिक उपचार देकर मरीज को ठीक तरह से अस्पताल पहुंचा सकते है। आकस्मिक दुर्घटना के बाद फ्रेक्चर को कम्पांउड फ्रेक्चर में बदलने से बचाव के उपाय सीखा।

प्रो. माया टंडन व डॉ. किरण टण्डन के सत्र में आपको क्या उपयोगी लगा?

इनके सत्र में हमने भाग लेकर यह जाना कि हमारे लिए सांस लेने व छोड़ने की क्रिया जो कि योगा में भी हम सीखते है कि हमारे लिए बहुत सहायक होगा। सभी प्राथमिक उपचार के तरीके जो हम सड़क दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को दे सकते हैं उपयोगी लगे। हमारे आस-पास अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो हम उन्हें प्राथमिक उपचार दे सकते है। चिकित्सा से उस व्यक्ति की जान बचा सकते है। हमने रोड़ सेफ्टी मेजर सीखे व जिम्मेदार नागरिक की तरह ग्रस्त व्यक्ति की मदद करनी चाहिए ताकि लोग रोड़ एक्सीडेन्ट में लोग मरे नही। एक महत्वपूर्ण विषय पर फोकस किया जिससे कि एक्सीडेन्टल डेथ रूल  पर कन्ट्रोल किया जा सकता है। एक्सीडेन्टल वीक्टम को अवोइड नहीं करके अगर उसे प्रोपर फर्स्ट एड दे और अस्पताल पहुंचा दे तो हम ना केवल वीक्टम की जान बचा सकते है बल्कि एक परिवार को खुशी भी दे सकते हैं।

दुर्घटना के समय व्यक्ति को सी.पी.बी.आर. बहुत ही महत्वपूर्ण हैं सी.पी.बी.आर. के द्वारा व्यक्ति की जान बचाना और अस्पताल पहुंचने उसको प्राथमिक उपचार देना। रोड़ एक्सीडेन्ट में किसी को चोट लग जाती है तो सी.पी.सी.आर. देनी चाहिए उसे उसकी जान बच जाती है। हमारे विद्यालय में बच्चों के साथ हो जाने पर हम भी डॉ. टण्डन द्वारा बताया गया उपचार उपयोग में ले सकते हैं। उनका वक्तव्य बहुत आकृषित करने वाले थे तथा उना प्रजेंटेशन अच्छा था। दुर्घटना के बाद व्यक्ति को प्राथमिक उपचार में व्यक्ति की सांस  देकर मदद करने के लिए बताना अच्छा लगा। किसी घायल व्यक्ति की जान बचाना जरूरी है। प्राथमिक उपचार के तरीके में हमें बिना समय बर्बाद किये घायल व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। हमारी एक कोशिश किसी की जान बचा सकती है। दुर्घटना होने पर व्यक्ति के रक्त स्त्राव को रोकने एवं मुंह या श्वास नली को बन्द होने से बचाने के बारे में सीखा। किसी जानवर के काटने पर उपचार व लक्षण सिखाऐं कि किस तरह कि बीमारी का पता उसके लक्षण से पता लगाकर उसका उपचार करवाना चाहिए। प्राथमिक उपचार के माध्यम से जब तक 108 नहीं आये तब तक दुर्घटना से प्रसित व्यक्ति को किस प्रकार कृत्रिम स्वास दिया जा सकता है। मस्तिष्क में होने वाली बिमारी के बारे में कई उपयोगी बाते सीखी। दुर्घटना के बाद मरीज को पहले 3 मिनट में उपचार की विधी का महत्व समझा व सीखा।

यह कार्यशाला आपको कैसी लगी और भविष्य के ऐसी कार्यशालाओं के लिए आपके सुझाव क्या होंगे?

यह कार्यशाला बहुत ही उपयोगी लगी एवं ऐसी कार्यशालाएं भविष्य में भी होती रहनी चाहिए ताकि हर कोई अपने साथ 10 अन्य व्यक्तियों को जोड़कर इसे सीख सके। ऐसी कार्याशालाएं समय-समय पर और नये-नये विषयों पर होती रहनी चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा व्यक्ति भाग ले सके व अपने-अपने परिवार व देश के लिए कुछ कर सके। कार्याशाला काम चलता रहे और बहुत आगे बढ़ बहुत शाखाएं और संस्थाएं इससे जुडे और भविष्य में जान की जान बचाना कितना ज्यादा जरूरी है। यह कार्यशाला हमे बहुत ज्ञानवर्धक लगी एवं हम बच्चों की रोजाना जीवन में होने वाली इनजरी को कैसे केयर कर सकते है। साथ ही माता-पिता को भी इस बारे में कैसे जागरूक कर सकते है। क्या-क्या चीजे बच्चों की सेफ्टी के लिए हम प्लान कर सकते है। ताकि वे घायल न हो तथा रोड़ एक्सीडेन्ट को कम करने के लिए क्या बाते ध्यान में रख सकते है। हम दिल से आभार व्यक्त करते है कि हमें यहां आने का अवसर मिला। आशा है कि भविष्य में हम ऐसी कार्यशालाओं से काफी कुछ सीखेंगे जिससे हम स्वंय को, परिवार को और समाज को सेवा प्रदान कर सके। इस तरह की कार्यशालाओं में आगे भी भाग लेगे। इस तरह की विद्यालय फर्स्ट एड प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिक से अधिक विद्यालयों को जोड़ना चाहिए। जिससे अधिक से अधिक बच्चों को लाभ (प्राथमिक उपचार) मिल सके। कार्यशाला साल में एक बार जरूर लगाये जिसे स्वास्थ्य के बारे में जो जानकारी नहीं होती है उसे इस कार्यशाला से प्राप्त होती है जिसे हम स्कूल के स्वास्थ्य के बारे में बता सकते है और यह कार्य शाला लगाकर चलने पर हमको बहुत फायदा मिलेगा और बच्चों को सिखाने का मौका हम देंगे। यह कार्यशाला बहुत अच्छी लगी भविष्य में आगे हमारे योग्य जो हमारे सुझाव होंगे जरूर देंगे मदद भी करेंगे।

हम यहां स्वास्थ्य के बारे में सीखा और जो अनुभव प्राप्त किया वो भी हम आगे करने की कोशिश करेंगे और ऐसे कामों में भाग लेंगे। खेजड़ी सर्वोदय जनरल हैल्थ द्वारा आयोजित होने वाले एक दिवसीय शिविर में दैनिक जीवन में सम्बन्धित बीमारियों के बारे में विस्तार पूर्वक बताकर टीचरों को अपने विद्यालय में अपने छात्रों के स्वास्थ्य में सुधार करने में बड़ी सहायता मिलेगी तथा उन्हें इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाने से अपने छात्रों को अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। मुझे इनके कार्यक्रम से अनेक सामान्य बातों के बारे में अनेक जानकारी मिली। कार्यशाला सभी के लिए लाभदायक है। इस कार्यशाला में आज पहले बार आई हूं इसमे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है, मै चाहती हूं कि यह कार्यशाला उन्नती की ओर जाये। हम चाहते है इस प्रकार की बच्चों से सम्बन्धित कार्यशाला का आयोजन विद्यालयों में भी किया जाए जिससे बच्चों की अन्य समस्याओं का समाधान हो सके। डी.वी.डी. अन्य लोगों को भी मिल सके तो अच्छा है। भविष्य में ऐसी कार्यशालाओं का समय-समय पर आयोजन होने से लोगो में चेतना पैदा की जा सकती है। इस कार्यशाला से हम जान पाये की एक अच्छे नागरिक के क्या कर्तव्य है। हम चाहेंगे कि हमे इस कार्यशाला में दोबारा आने का अवसर प्राप्त हो ताकि हमे ओर कई जानकारिया प्राप्त हो और हम दूसरों की मदद करें सबको इस कार्यशाला के बारे में बताये और दूसरों को भी  लोगों कि मदद करने को कहे कि वो बिमारी से ग्रस्त व्यक्ति कि किस तरह मदद कर सकते है। यह कार्यशाला कॉलेज, स्कूल कि बड़ी कक्षाओं में भी यही सब कुछ बताया जाए ताकि यंगस्टर लोग ड्राइविंग संभल कर करे। शिक्षको के अलावा यदि अभिभावक व आम लोगों की ऐसी कार्यशालाओं से जोड़ा जाये तो जागरूकता बढेगी। हम आगे भी कार्यशाला में भाग लेगे ताकि हमे शारीरिक व मानसिक स्तर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो। भविष्य में ज्यादा से ज्यादा अध्यापक इससे जुडे क्योंकि समाज में अध्यापक सीधा समाज से जुड़ा होता है व आम आदमी उस पर विश्वास करता है कि ये जो काम करेगा जिम्मेदारी से करेगा अतः अध्यापक व बच्चों को भी प्राथमिक चिकित्सा प्रेक्टीकल करवाई जावें।

आप अपने विद्यालय के बच्चों के स्वास्थ्य के लिए क्या करते है व अब आगे क्या करेंगे?

हमारे विद्यालय में बच्चों के स्वास्थ्य के विषय में वैसे हम समय-समय पर बताते रहते हैं लेकिन अब इस सत्र में जुड़ने के बाद और अधिक जानकारी प्राप्त कर वैसी जानकारी भी विद्यालय में सभी को बतायेंगे। हम अपने विद्यालय में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए फर्स्ट एड किट रखते है, साल में दो बार डॉक्टर से जांच करवाते हैं व समय पर विद्यालय का फर्नीचर व झूलों की जांच करवाते है और अब आगे भी करवाते रहेंगे। हम विद्यालय में बच्चों  के स्वास्थ्य को लेकर बहुत जागरूक है, हम पूरा फर्स्ट एड किट विद्यालय में रखते है और हम कोशिश करते है कि बच्चों को चोट से कैसे बचाया जाऐ ताकि वो घायल न हो क्योंकि नन्हें बच्चे हम माता-पिता के बाद हम अध्यापक पर ही निर्भर होते है। हम अपने बच्चों का हैल्थ एवं हाईजीन का पूरा ध्यान रखते है। भविष्य में हम उन्हें अपना और अपने परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह देंगे। क्योंकि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है।

हमारे विद्यालय के बच्चों के स्वास्थ्य के लिये हम आवश्यकता होने पर शीघ्र प्राथमिक उपचार करेंगे। हमे जो कार्याशाला में स्वास्थ्य के बारे सीखा है वो सभी बातें प्रेक्टिकल के रूप मंे बच्चों को बतायेंगे। हम हमारे विद्यालय में स्वास्थ्य सम्बन्धित छोटी-छोटी लापरवाही से सजग करके बच्चों के अन्दर अच्छी सोच विकसित करवाने का प्रयास करेंगे। जिससे बच्चे स्वस्थ रहकर अच्छी प्रकार से शिक्षा अर्जन कर सके। हम स्कूल के बच्चों के लिए इनके बताइए गए उपचारों का प्रयोग करेंगे इसे हमको कुछ सुविधाएं मिलेगी बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार लाएगा। स्वास्थ्य के लिए जो प्राथमिक उपचार होगा उसे उपलब्ध करायेंगे व ज्यादा समस्या होने पर उनके माता-पिता को समझायेंगें। हम पहले विद्यालय के बच्चों के बारे मंे इतने जागरूक नहीं थे लेकिन इस प्रशिक्षण प्रोग्राम में आने के बाद अब में नित्य बच्चों के स्वास्थ्य की तरफ ध्यान देंगे तथा बच्चों को अनेक बीमारियों से बचाने में सहायता करेंगे। हमारे विद्यालय के बच्चें स्वास्थ्य के लिए खेजड़ी स्वास्थ्य केन्द्र से जुडे हुए है व हम आगे भी इस स्वास्थ्य से जुड़े रहना चाहते है। हम उन्हें रोज सफाई से रहने के लिए प्रेरित करते है। उन्हें अच्छे व सही समय पर खाना खाने व अपना सफाई से रहने के लिए आगे प्रेरित करेगे। हम अपने विद्यालय के बच्चों के स्वास्थ्य के फर्स्ट एड का इस्तेमाल करते हैं। हम अपने विद्यालय के बच्चों के स्वास्थ्य के लिए रोजना उनके दांत, नाखुन व बाल चेक करते है। बच्चों को सफाई से रहने का सफाई का ध्यान रखने के निर्देश देते है। हम अपने विद्यालय के बच्चों के स्वास्थ्य के लिए प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण को वास्तविक जीवन में एवं विद्यालय प्रांगण में लागू करेंगे एवं अब आगे भी जन जाग्रति कार्यक्रम को जारी रखेंगे। हमारी संस्था में युवतियों को प्राथमिक चिकित्सा की ट्रेनिंग दी जाती है, साथ ही युवतियां जो ट्रेनिंग लेती है उनकी आँखों की जांच व खून की जांच करवाई जाती है। आगे से सड़क सुरक्षा के नियमों को बतायेगे। हम अपने विद्यालय के बच्चों के प्रति जागरूक है तथा बच्चों को स्वास्थ्य सम्बन्धित जानकारी देते है। जिन तरिको को अपना कर बच्चे स्वस्थ रहे ऐसे तरिके उन्हें बताते है। हाथ धोना, पूरा पोषण लेना इन पर कार्य करते रहते है। अब दुर्घटना मे मदद व फर्स्ट एड को लेकर कार्य करेंगे। बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उनकी शारीरिक व मानसिक स्तर ऊँचा उठाने का प्रयास करेंगे। हमारे विद्यालय में साल में 2 बार बच्चों को स्वास्थ्य परिक्षण किया जाता है उस परिक्षण के विश्लेषण के बाद बच्चों के लिए डॉक्टरी सलाह ली जाती है, साथ ही समय-समय पर मौसमी बीमारियों व पोषण संबंधी जानकारी दी जाती है। बच्चों को आवश्यकता होने पर प्राथमिक उपचार दिया जाता है। उसके बाद भी घर जाकर माता-पिता के उचित सलाह व मदद उपलब्ध करवायी जाती है। बच्चों को स्वास्थ्य का महत्व समझाकर स्वस्थ्य बालक, स्वास्थ व तेजस्वी समाज बनाने की कोशिश करेंगे।


भँवर लाल कुमावत
कार्यक्रम समन्वयक